मेरे कुछ विचार
कोई व्यक्ति अच्छे य खराब नहीं होते अच्छा य खराब व्यक्ति का वक़्त होता है तिस पर प्रभु कृपा ही है जो की आपको “आश्रय-प्रश्रय-सहायता” आदि उपलब्ध कराती है इसलिये किसी अमुक व्यक्ति के पहले, ईश्वर से ही माँगना चहिये ईश्वर को ही धन्यवाद देना चाहिये, और हाँ निरादर अथवा क्षोभ तो किसी पर भी भी प्रगट ही नहीं करना है अंत में यह भी कहूंगा की किसी अन्य को परामर्श देना एक बात है अपनें आचरण में अंगीकार करना बहुत ही श्रमसाध्य है
आपने पेड़ नहीं लगाए हैं तो आपने जुर्म किया है और यदि आपने पेड़ लगाए हैं और वह पानी बिना सुख गए तो आपने हत्या के बराबर जुर्म किया है
पुलिस और सेना के बल पर चलायी जाने वाली व्यवस्था, में अन्तिम पायदान पर खड़े आदमी के लिये, कहीं कोई जगह नहीं है । कानून की पढ़ाई में, यह भी है, कि कानून सरल, मानने योग्य और सुविधा देने वाला होना चाहिए आज मजबूत आदमी के लिये कानून सरल और सुविधा देने वाला ही है, मानना या न मानना मजबूत आदमियों की मर्जी पर है, दूसरी तरफ मजबूर आदमी के लिये, कानून की कठिनता बताई जाती है, कानून को बाध्यकारी बताया जाता है उसी कानून के सहारे, मजबूर आदमी को, और मजबूर करके उसकी आजादी, उसका अपना आत्मसम्मान, आत्मगौरव छीन लिया जाता है ।
जिस धर्म में तलाक की सुविधा नहीं वहां भी औरतों को नरक है, और जिस धर्म में एकतरफा तलाक है, वहां भी औरतों की ज़िंदगी जहन्नुम है… धर्म सर्कस है, जिसमें हंटर पुरुष के हाथ में है…