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  • तुम्हे मालूम है अब मुझे कोई शिकायत नहीं है

    तुम्हे मालूम है अब मुझे कोई शिकायत नहीं है , मुझे कोई परेशानी नहीं है , मुझे कोई दुःख नहीं है , मुझे किसी अतिरिक्त सुख की चाह भी नहीं है ।

    मुझे स्वाभाविक रूप में ही यह जगत कल्याणकारी जान पड़ता है , मुझे ऐसा लगता है कि जिसे लोग साधारणतः दुःख मानते हैं , वो अंततः कल्याणकारी है , सुख ही है , और जिसे सुख मानते हैं वस्तुतः वह एक बड़ा दुःख है , उस काल्पनिक सुख के मूल में दुःख है ।

    मुझे यह अनुभूति अत्यंत प्रीतिकर है । प्रयास और संभावनाओं के निमित्त मेरा मोह और कर्म कहीं खो सा गया है – छूट गया है ।

    अब मेरे मन में परमात्मा के प्रति धन्यवाद का भाव और अधिक गहरा हो गया है ।

    मुझे जो उत्तर मिला है वह केवल इतना कि ” जगत मूल रूप में कल्याणकारी है “

  • मै भी बागी हूँ

    मै भी बागी हूँ , भूल से भी कोई गलती न करनें का ट्रैक रिकार्ड है , बगावत की बड़ी , बल्कि बहुत बड़ी कीमत चुकाई , जब आपको अपनी जिद पर जीना होता है तो कीमत तो चुकानी पड़ती है , लेकिन तजुर्बे की बात ये है कि , ज्यादातर मौकों पर हम खुद ही गलत होतें हैं , हाँ सामाजिक ढाँचा कुछ ऐसा है कि लड़कियों के लिये जोखिम और तकलीफ कुछ ज्यादा ही है।

    सत्ता और व्यवस्था से लड़ाई जिन्हें लड़नी है वे लड़ रहे हैं। हर मोर्चे पर जंग है। समाज कभी दमन और अत्याचार से मुक्त नहीं हुआ, न तो समाज से वे लोग मिटे जो बेहतरी की उम्मीद में संघर्ष करते हैं ।सब कुछ पैरलेल चलता है । मीठा मीठा नहीं हो जाता सबकुछ ।

    मै , तो इतना कहूँगा कि लड़ाई जारी रखनी होगी , बिना रुके – बिना झुके – बिना टूटे , बार-बार , लगातार , अंत तक लड़ना होगा ।

  • आपका कुछ जा रहा है ,

    आपका कुछ जा रहा है , आपकी किसी उर्जा का पतन हो रहा है , आपसे कुछ छूट रहा है , कोई चीज आपके भीतर से स्खलित हो गयी ,

    कुछ पल के लिये आप “हींन” हो गये, आपका पैर काँप रहा है , कंठ में ठंडक का अहसास है किन्तु वास्तविक रूप में गला सूखा हुआ है ,

    पानी की ज़रुरत महसूस हो रही है , दिमाग में बिजली चमकनें-दिन में तारे दिखनें जैसी आकस्मिक झुरझुरी पैदा होती है ,

    मुँह से सीत्कार निकलता है , क्षणिक शारीरिक शिथिलता घेर लेती है – सारे लक्षण अशुभ हैं ,

    अन्ततः दुःख उत्पन्न करनें वाले हैं ,

    तिस पर मूर्खों की मंडली इसे ही सुख का चरमोत्कर्ष कहती है —– वाह री विडम्बना !

  • मैं नहीं समझता कि

    मैं नहीं समझता कि आपको आपके पूर्वजों द्वारा किये कर्मों की सज़ा मिले,

    मैं नहीं समझता कि आपको अपने पितामह अथवा पिता के कर्मों की सज़ा मिले

    और न ही मैं नहीं समझता हूँ कि आपको अपने पुत्रों के कर्मों की सज़ा मिले,

    बल्कि मै एक ऐसी सहिष्णुता का पोषक हूँ कि यदि आपसे भी कोई गलती हुयी हो तो

    पश्चाताप करने सुधार करने का अवसर दिया जाना चाहिये

देश और प्रदेशों में सत्ता परिवर्तन हो जाता है ,लेकिन व्यवस्था परिवर्तन का सपना वही उसी जगह अधूरा पड़ा हुआ समय की बाट जोह रहा है, जहां उसे महात्मा गांधी श्रंखला की अंतिम विभूति लोकनायक जयप्रकाश नारायण छोड़ कर गए थे.

जब आप एक आदर्शवादी को वोट देकर, समर्थन करके जिताते हैं तब आप व्यवस्था में सुधार करते हैं और जब आप गैर आदर्शवादी को समर्थन देते हैं वोट देकर जिताते हैं तब आप व्यवस्था को बाजार बना देते हैं, याद रखिए बाजार हमेशा “लाभ हानि” की कसौटी पर चलते हैं ,सम्वेदनाओं, मूल्य और सरोकारों से नहीं|

 

सोची-समझी दीर्घकालिक रणनीति के अनुसार, भारत में एक ऐसा अतिशय खर्चीला राजनीतिक ढांचा सांचा निर्मित किया जा रहा है, जिससे मितव्यई और सादगी-पसंद, सदाचारी,आदर्शवादी लोग मुख्य राजनीतिक धारा में आ ही ना सके

आपने पेड़ नहीं लगाए हैं तो आपने जुर्म किया है और यदि आपने पेड़ लगाए हैं और वह पानी बिना सूख  गए तो आपने हत्या के बराबर जुर्म किया है

मुझसे अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  • आदर्शवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में आप वर्तमान शाशन सत्ता को किस रूप में देखते हैं ?

    वर्तमान शासन-सत्ता के अंतर्गत चल रही व्यवस्था पर मैनें कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं उन्हीं पंक्तियों में आपके सवाल का जवाब छुपा है आप भी सुनिये और मेरा जवाब जानिये

    • न बिजली है , न पानी है
    • न सफाई है , न दवाई है
    • न तो किताब है और न ही पढ़ाई है
    • इनके राज में केवल मँहगाई है वैमनस्यता की गहरी खाई है
    • इनके दावे झूठे और बांतें हवा-हवाई हैं
    • ये अपनी पत्नी के हरजाई हैं
    • मित्रों के लिये दुखदाई हैं
    • गुरुओं के लिये कसाई हैं
    • अमन-चैन के खिलाफ खड़े अताताई हैं
    • अर्थव्यवस्था का नाश करनें वाले तुगलकी फरमानों के उत्तरदायी हैं
    • भारत देश और देशवासियों के लिये विपदा के बड़े भाई हैं
  • प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के विषय में आपकी क्या निजी राय है ?

    मैं एलानिया तौर पर ये कह रहा हूँ कि भारत देश के प्रधानमंत्री पद के लिए, मेरे अन्तर्मन में आदर-सम्मान और श्रद्धा है किन्तु न तो मैं नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को पसन्द करता हूँ, और न ही उनकी सोच, चरित्र और चालबाजियों को । आप के लिये होंगे वे ” जी “और “आदरणीय” मेरे नजरिये में वे एक शातिर , धूर्त , पाखंडी  और धोखेबाज नेता हैं , ऐसा कोई सगा नहीं , जिसको इसनें ठगा नहीं |

  • कांग्रेस छोड़ कर और फिर आदर्शवादी के साथ कांग्रेस लगाकर आपने पार्टी बनाई ? कुछ साफ़-साफ़ बतायेंगे कि आखिर में लक्ष्य क्या है ?

    पहली बात कि अध्यक्षता/संयोजन/अगुआई जरूर रही मेरी, लेकिन पार्टी अकेले मेरी बनाई हुई नहीं है कुछ लोग अपनें-अपनें ग्रुप/समूह के साथ एकत्त्रित हुये और आदर्शवादी कांग्रेस पार्टी बनीं, पार्टी का ढांचा पूरी तरह लोकतांत्रिक है, आज राष्ट्रीय कार्यसमिति का अध्यक्ष हूँ , आगे कोई और बन जाएगा मूल बात है लक्ष्यों/उद्देश्यों के लिये लगातार डट कर सतत कार्य करते रहना है अब रही बात आदर्शवादी में कांग्रेस लगाकर पार्टी बनानें की तो आपको बता दूं कि आदर्शवादी कांग्रेस पार्टी के नाम में “कांग्रेस” शब्द इस लिये है की हमनें घर छोड़ा है, न वल्दियत बदली है, न ही पुरखों का नाम-निशान ! और हाँ अगर उनसे घर नहीं सम्ह्लेगा तो उनसे पूरा घर वापस ले लेंगे, घर बेंचनें और घर में आग लगानें की इजाजत नहीं है उन्हें |

  • राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुन्य तिथि पूरे देश में रश्मी आयोजन के रूप में परंपरागत रूप से मनाई जाती है आखिर इस तरह के सार्वजनिक आयोजन की जरूरत क्यों पड़ी-?

    किसी भी राष्ट्र के राष्ट्रनिर्माता महापुरुषों के प्रति विद्धेष और कटुता का फैलाव राष्ट्र के नागरिकों के वैचारिक और नैतिक पतन का आरम्भ है, और इस अधोगति उन्मुख वैचारिक और नैतिक पतन को रोकनें के लिये आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्य तिथि 30 जनवरी को श्रद्धांजलि/पुष्पांजलि कार्यक्रम का सार्वजनिक आयोजन किया गया और अब प्रत्येक वर्ष इसी तरह किया जायेगा, चूँकि केंद्र और राज्य की सत्ता में बैठे लोग महात्मा गांधी के प्रति दोषपूर्ण पूर्वाग्रह से क्लान्त हैं इसीलिये वे कुतर्की विमर्श के सहारे देशवासियों के मन में राष्ट्र निर्माता महापुरुषों के खिलाफ विशेषतया पंडित नेहरू और महात्मा गांधी के खिलाफ जहर आरोपित कर रहे हैं . आदर्शवादी कांग्रेस पार्टी पंडित नेहरू और महात्मा गांधी के खिलाफ तैयार किये जा रहे अनर्गल आक्षेपों से लडनें का मन बना चुकी है इसी क्रम में “महात्मा गांधी के विषय में आम जन-मानस के विचार के नाम से एक संकलन पुस्तिका प्रत्येक वर्ष गांधी जयन्ती के अवसर पर प्रकाशित किये जानें का निर्णय लिया गया है

My Ideal Person

1

पंडित जवाहर लाल नेहरू

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री

 

2

जननायक नेता जी सुभाष चंद्र बोस

 

3

लाल बहादुर शास्त्री

4

डॉ बी आर अम्बेडकर

5

खान अब्दुल गफ्फार खां

सीमान्त गाँधी

6

फिरोज गाँधी

7

डॉ राम मनोहर लोहिया

8

जय प्रकाश नारायण

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